Thursday, 15 December 2022

 विलुप्त हो रहे प्रकृति के प्रहरी

प्रकृति के प्रहरी माने जाने वाले जीव आज मनुष्य की गलतियों का खामियाजा अपने अस्तित्व को गंवाकर भुगत 

रहे हैं। दुनियाभर में फैली खूबसूरत और खतरनाक जीवों की विभिन्न प्रजातियों का जीवन संकट में है। तमाम 
शोधों में पाया गया है कि इनके विलु’ होने का कारण ग्लोबल वार्मिंग, बदलती जीवनश्ौली, कीटनाशक, दवाइयों 
व केमिकल्स का प्रयोग इनके जीवन को प्रभावित कर रहा है। 5 अक्टूबर 1948 को स्थापित की गई आईयूसीएन 
(इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑन नेचर) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में स्तनपायी जीवों की 397 
प्रजातियां, पक्षियों की 1232, सरीसृपों की 46०, मछलियों की 2546 और कीट-पतंगों की 59, 353 प्रजातियां पाई 
जाती हैं। इसके अलावा भारत में तकरीबन 18,664 तरह के पेड़-पौधों की शरण स्थली माना गया है।
लेकिन अब इन पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। मौजूदा समय में देश में 84 राष्ट्रीय उद्यान और 447 
अभ्यारण्य जीवों को संरक्षित करने के लिए बनाउ गए हैं। जानते हैं कुछ प्रमुख विलुप्त जीवों के बारे में।
बाघ - 
भारत का राष्ट्रीय पशु है। इसकी आठ प्रजातियों में रॉयल बंगाल टाइगर, देश के पश्चिमी हिस्से में पाया जाने 
वाला सबसे खतरनाक जीव माना जाता है। किसी समय अपनी चहलकदमी से पूरा जंगल हिलाने वाले इस वन्य 
जीव का अस्तित्व हिल चुका है। इस खूबसूरत जीव का जीवन खतरे में है। भारत में यह सबसे ज्यादा संकटग्रस्त 
प्रजातियों में गिना जाता है। देश में अब केवल 1411 बाघ ही बचे हैं। हालांकि अब इनकी संख्या में इजाफा हुआ 
है।
एशियाई शेर - 
एशियाई शेर प्रमुख रूप से गुजरात के गिर वनों में पाए जाते हैं। लेकिन अब इनकी संख्या में लगातार कमी हो 
रही है। गिर वन में अब करीब 411 शेर बचे हैं। पर्यावरण के विष्ौला होने व जल प्रदूषण और शिकार की वजह 
से यह खूबसूरत जीव अपने अस्तित्व को लेकर संकट में है।
गिद्ध- यह प्रमुख रूप से मृत-पशु के मांस पर निर्भर रहने वाला जीव है। इस जीव को प्रकृति का सफाईकमीã भी 
कहा जाता है। इसके विलुप्त होने का प्रमुख कारण पशुओं में प्रयोग की जाने वाली कई तरह की दवाओं को माना 
जा रहा है। देश में इनकी संख्या न के बराबर है। इस जीव को पूर्ण रूप से लुप्त प्राय जीवों की श्रेणी में रखा गया 
है।
वेस्टर्न ट्रैगोपन- 
यह रंगबिरंगी और खूबसूरती पक्षी हिमालय के ठंडे और जंगली इलाकों में पाया जाता है। यह तीतर की दुर्लभ 
प्रजाति है, जिसका जीवन समाप्ति की ओर है। इसके लुप्त होने का कारण जलवायु परिवर्तन को माना जा रहा 
है।
स्नो लेपर्ड- हिमालयन तेंदुआ यह अत्यंत चंचल और फु र्तीला, बिल्ली की प्रजाति का प्राणी है। यह हिमालय की 
ऊचाईयों में ठंडे-जंगली इलाकों में पाया जाता है। इसके अंगों की कीमत अतंर्राष्ट्रीय बाजार में करोणों होने के 
कारण इसका चोरी छिपे शिकार किया जाता है, जिस कारण यह भी विलुप्त जीवों की श्रेणी में शामिल है।
रेड पांडा - 
यह अत्यंत खूबसूरत स्तनपायी प्राणी पूर्वी हिमालय के जंगलों में पाया जाता है। जंगलों के लगातार कटने के 
कारण इसके निवास क्ष्ोत्र की कमी के कारण यह अपने जीवन को लेकर संकट में है।
सुनहरा लंगूर। देश में यंू तो बंदरों की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। इन्हीं में से एक है सुनहरा लंगूर। इसका 
निवास क्ष्ोत्र ब्रह्मपुत्र नदी के आसपास स्थित वन हैं। वनों के कटाव के चलते इनकी संख्या तेजी से घट रही है।
इंडियन एलीफैंट- भारतीय हाथी को राजाओं की सवारी माना गया है। इसलिए यह राष्ट्रीय विरासत पशुओं की 
श्रेणी में सबसे आगे है। हाथी दांत के लिये चोरी छिपे शिकार और निवास क्ष्ोत्र के नष्ट होने के कारण यह जीव 
अपने जीवन को लेकर संकटग्रस्त।
इंडियन वन हार्न रीनो- 
एक सींग वाला गेंडा अपनी प्रजातियों में सबसे हिंसक माना जाता है। इसका निवास क्ष्ोत्र गंगा के मैदानी-जंगली 
इलाके हैं। हालांकि अब यह सिर्फ चिड़ियाघरों में ही देखे जाते हैं। एक सींग की वजह से इसके अत्याधिक शिकार 
और प्राकृतिक परिवर्तन के कारण ये समाप्ति की ओर हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में अब सिर्फ 21०० गैंडे ही 
बचे हैं।
स्वैंप डीर- 
यह हिरण प्रमुख रूप से घने व दलदली इलाकों में रहने के कारण प्रसिद्ध है। यह प्रमुख तौर से भारत और नेपाल 
में पाया जाता है। बदलते पर्यावरण और घटते निवास क्ष्ोत्रों की वजह से इसका जीवन संकट में है।
ओलिव राइडल टर्टल- यह अपनी प्रजाति का अनोखा और सबसे छोटा क छुआ है। यह भारत के पूर्वी तटों प्रमुख 
रूप से ओड़िशा तट पर भारी संख्या में पाए जाते हैं और प्रजनन करते हैं। प्रजनन स्थलों की संख्या में कमी और 
समुद्री जल के प्रदूषति होने के कारण इनकी आबादी खत्म हो रही है।
इसके अलावा आर्इयूसीएन की रेड लिस्ट में कई और जीव प्रजातियों को शामिल किया गया है। ब्लैक नेक्ड क्रेन, 
डोडो, यात्री कबूतर, टाइरानोसारस, कैरेबियन मॉन्क सील, वन कछुए, ब्राजील के मरगैनसर, घडिèयाल, नीला व्हेल, 
विशालकाय पांडा, बर्फीला तेंदुआ, क्राउंड सालिटरी ईगल, ब्लू-बिल्ड डक, सॉलिटरी ईगल, स्माल-क्लाड औटर, मेंड 
वुल्फ, चित्तीदार मैना, गौरैया आदि प्रमुख हैं।
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