केरल में आई सदी की सबसे विनाशकारी बाढ़ से अब तक 370 लोगों की मौत हो चुकी है और कई लाख लोग बेघर हो चुके हैं। हालांकि, बारिश धीमी होने और जलस्तर घटने से अब राज्य में संक्रामक बीमारियों के प्रकोप का खतरा मंडराने लगा है। हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. केके अग्रवाल ने कहा कि बाढ़ की शुरूआत के बाद संक्रामक बीमारियों और उनके संचरण का प्रकोप दिन, हफ्ते या महीने के भीतर हो सकता है। बाढ़ के दौरान और बाद में सबसे आम स्वास्थ्य जोखिमों में से एक है, जल स्रोतों का प्रदूषण। ठहरा हुआ पानी मच्छरों के लिए प्रजनन स्थल बन जाता है, इस प्रकार वेक्टर-जनित बीमारियों की संभावना में वृद्धि होती है। बीमारियों में जैसे लेप्टोस्पायरोसिस एक तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन है, जो आदमियों और जानवरों दोनों को प्रभावित करता है। आमतौर पर ये रोग पालतू जानवरों जैसे गाय, भैंस, बकरी, मुर्गों, कुत्तों और चूहों से फैलता है। आमतौर पर इस रोग के लक्षण जल्दी दिखाई नहीं देते हैं मगर बाढ़ और पानी आदि के प्रभाव में ये रोग तेजी से एक से दूसरे व्यक्ति या जानवर में फैलते हैं। आमतौर पर दूषित पानी और जानवरों के मल मूत्र के संपर्क में आने से फैलने वाला लेप्टोस्पायरोसिस रोग जानलेवा नहीं होता है मगर ये किडनी को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
बैक्टीरिया की वजह से होने वाली बीमारी हैजा बाढ़ के दौरान फैलने वाली सबसे घातक बीमारी होती है। इसके कारण उल्टी, दस्त और निर्जलीकरण यानी डिहाइड्रेशन हो जाता है। कई गंभीर मामलों में हैजा जानलेवा भी हो सकता है। दरअसल हैजा एक खास तरह के बैक्टीरिया के कारण फैलता है। यह मुंह और मलमार्ग के माध्यम से जोर पकड़ता है। इससे प्रभावित लोगों के मल में बड़ी संख्या में इस बीमारी के जीवाणु पाए जाते हैं। इस मल के बाढ़ के पानी में मिल जाने की स्थिति में इसके कारण बड़े पैमाने पर संक्रमण फैल जाता है और बहुत तेजी से लोग हैजा के शिकार होने लगते हैं। बाढ़ के समय में शरण स्थल के शिविरों में पहले ही साफ-सफाई की कमी होती है, जिससे तीव्र संक्रमणशील यह बीमारी जल्दी ही महामारी का रूप ले लेती है। बाढ़ के दौरान अन्य बीमारियां- बाढ़ के दौरान कई तरह के जलजनित रोगों जैसे मियादी बुखार, हैजा और हेपेटाइटिस ए, लेप्टोस्पायरोसिस आदि का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा मच्छरों से पैदा होने वाली बीमारियां जैसे मलेरिया, डेंगू बुखार, पीतज्वर और वेस्ट नाइल फीवर आदि का भी खतरा बहुत ज्यादा होता है। बाढ़ के दौरान बरतें ये सावधानियां- बाढ़ के पानी के साथ सीधे संपर्क में न आने की पूरी कोशिश करें तथा कभी भी इसका सेवन न करें। आमतौर पर नलके का पानी बाढ़ से अप्रभावित होता है और पीने के लिए सुरक्षित होता है। अगर आपको पानी में जाना ही पड़े, तो रबड़ के जूते और या वाटर प्रूफ दस्ताने पहनें। नियमित रूप से अपने हाथों को धोएं, विशेष रूप से खाने से पहले। अगर पानी उपलब्ध नहीं है, तो हैंड सेनिटाइजर या वेट वाइप का प्रयोग करें। अगर कहीं कट या छिल गया हो, तो वहां वाटरप्रूफ प्लास्टर पहनें। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि केंद्र ने बाढ़ प्रभावित केरल में किसी तरह की महामारी को रोकने के लिए 3,757 मेडिकल शिविर लगाए हैं. बाढ़ का पानी घटने के साथ माहौल संक्रामक बीमारियों के अनुकूल हो जाएगा। राज्य को दैनिक निगरानी के लिए कहा गया है जिससे किसी भी प्रकोप के शुरूआती संकेतों का पता लगाया जा सके.संक्रामक बीमारियों, उनकी रोकथाम व नियंत्रण, सुरक्षित पेयजल, सफाई के कदम, वेक्टर नियंत्रण व अन्य चीजों पर राज्य के साथ स्वास्थ्य परामर्श साझा किया गया है। राज्य के स्वास्थ्य निदेशालय को आशंका है कि राज्य में पानी और हवा से होने वाली बीमारियां तेजी से फैल सकती हैं। रुका पानी और मौजूदा मौसम बैक्टीरियों के तेजी से पनपने के लिए काफी अनुकूल है लेकिन इस नए खतरे से निपटना आसान नहीं होगा क्योंकि राज्य में इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं चौपट हो गई हैं। कोच्चि के पास अलुवा में चिकनपॉक्स के लक्षण सामने आने के बाद तीन लोगों को अलग शिविर में रखा गया है।
केरल में मॉनसून से पहले फरवरी में भी चिकनपॉक्स के काफी मामले देखे गए थे। जीका वाइरस के कारण भी हाल में केरल में कई लोगों की मौत का दावा किया गया था। चिकनपॉक्स के अलावा अधिकारियों को डेंगू, चिकनगुनिया, मलेरिया और जानवरों के यूरिन और मल के सीधे संपर्क में आने से फैलने वाले संक्रामक रोगों के फैलने की भी आशंका है। बाढ़ से प्रभावित लोगों में डायरिया, हेपेटाइटिस, वायरल बुखार और सांस संबंधी संक्रमण फैलने का भी खतरा है। अगर इनमें से कोई भी बीमारी फैलती है तो उसे रोकना काफी चुनौतीपूर्ण होगा क्योंकि दो लाख से ज्यादा परिवार इस समय राहत शिविरों में रह रहे हैं। बीमारियों के फैलने खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने शिविरों से घरों को लौट रहे लोगों के लिए एडवाइजरी जारी की है, जिसमें बताया गया है कि पानी और खाने को लेकर क्या सावधानी बरतनी है। पानी गर्म न हो सके तो लोगों को क्लोरीनयुक्त पानी पीने को कहा गया है। इसके साथ ही लोगों को मरे हुए पक्षियों या जानवरों के अवशेषों को जमीन में गहरा गड्ढा खोदकर दफनाने को कहा गया है। अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि बोरवेल्स से पानी का सीधे इस्तेमाल न करें।
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