Saturday, 9 February 2019

स्वाइन फ्लू की गिरफ्त में पूरी दुनिया

स्वाइन फ्लू की गिरफ्त में पूरी दुनिया

एक तूफान की तरह आई ‘स्वाइन फ्लू’ बीमारी ने पूरी दुनिया को अपनी गिरफ्त में ले लिया है। लाखों लोग इससे प्रभावित हुए हैं। अभी तक यह बीमारी थमने का नाम नहीं ले रही है। इसके पीछे एच-1 एन-1 वायरस का हाथ है जिसने लाखों जिंदगयां छिन ली हैं। इंसान और वायरस के बीच पूरी दुनिया में चल रही खतरनाक लड़ाइयों की श्रृंखला में यह ताजातरीन बीमारी है। इसके अलावा हजारों ऐसे वायरस हैं जो इंसानों के जान के  दुश्मन बने हुए हैं। वैज्ञानिक इन सभी वायरसों से मुक्ति पाने के लिए प्रयासरत हैं, कि लेकिन सफलता इतनी आसान भी नहीं है। देश में स्वाइन फ्लू के बढ़ते प्रकोप के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन ने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हालात की समीक्षा की। इस दौरान सचिव को बताया गया कि साल 2019 में 4 फरवरी तक देश में स्वाइन फ्लू के कुल 6701 मामले सामने आए हैं।
 वहीं, स्वाइन फ्लू के चलते अब तक 226 सिर्फ दिल्ली में लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर मौतें राजस्थान, गुजरात और पंजाब में हुई है। राजधानी दिल्ली में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या 1019 हो गई है। बढ़ते मामलों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने एक बार फिर गाइडलाइन जारी की है। इसके पहले बीते शुक्रवार को सरकार ने दिशा निर्देश जारी किए थे। बीते 48 घंटे के दौरान राजधानी में 124 मामले दर्ज किए गए हैं। इसके साथ ही इस जनवरी से अब तक सिर्फ दिल्ली में ही स्वाइन फ्लू पीड़ितों की संख्या 1019 हो गई है। इसमें 812 वयस्क और 207 बच्चे शामिल हैं। दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइन के अनुसार खांसने और छींकने के दौरान अपनी नाक व मुंह को कपड़ा या रुमाल रखें। अपने हाथों को साबुन व पानी से नियमित धोयें, भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें, फ्लू से संक्रमित हों तो घर पर ही आराम करें, फ्लू से संक्रमित व्यक्ति से एक हाथ तक की दूरी बनाए रखें, पर्याप्त नींद और आराम लें, पर्याप्त मात्रा में पानी - तरल पदार्थ पियें और पोषक आहार खाएं। इसके अलावा अपनी सुरक्षा को लेकर विशेष ध्यान रखें। यदि शरीर में दर्द या अन्य किसी तरह की परेशानी लगे तो डाक्टर से जरूर मिले। दिल्ली में स्वाइन फ्लू तेजी से फैल रहा है। अब तकसैकडों अधिक मरीज दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों में पहुंच चुके हैं। जबकि रोजाना 100 के करीब मरीज स्वाइन फ्लू के लक्षणों के साथ पहुंच रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों पर गौर करें तो 2016 में कुल 265 मौतें हुईं, इस बार उससे करीब चार गुना (1094) मौतें हो चुकी हैं। प्रभावितों की संख्या तो 12 गुना बढ़कर 2कई हजार से ज्यादा हो गई है।  स्वास्थ्य मंत्रालय ने बीमारी के उपचार, प्रबंधन, टीकाकरण, पृथक व्यवस्था, जोखिम के वर्गीकरण और रोकथाम उपायों के बारे में दिशानिर्देश हर अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों को जारी किए। सभी अस्पतालों को वेंटिलेटर तैयार रखने और रोग से रोकथाम के लिये सूचना प्रसारित कर रहा है।  (एच1एन1) पर राज्य स्तरीय समीक्षा बैठक के बाद दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव संजीव खिरवाल ने हाल में कहा था कि शहर में सभी सरकारी अस्पतालों में इस बीमारी के प्रबंधन के लिये आवश्यक साजो-सामान एवं निजी सुरक्षा उपकरण (पीपीई किट) सहित दवाइयां उपलब्ध हैं।
 साथ ही एन-95 मास्क भी मौजूद हैं। लेकिन स्थिति इन अस्पतालों की संतोषजनक नहीं है। मरीजों के लिए स्वाइन फ्लू वार्ड में जगह नहीं है, उन्हें मास्क बाजार से खरीदना पड़ रहा है। स्वाइन फ्लू, डेंगू, डायरिया जैसी बीमारियों से हजारों मौतें हो रही हैं, बाढ़ से देश भर में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं, लेकिन इन मौतों पर देश भर में हैरत भरी चुप्पी है. देश भर में इस साल के आठ महीनों में अब तक सिर्फ स्वाइन फ्लू से हजारों से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार देश में इस साल अब तक लोग स्वाइन फ्लू से मारे गए हैं जो पिछले साल के आंकड़े से चार गुना ज्यादा है.साथ ही अब तक इस बीमारी के कुल 22,186 मामले सामने आए हैं. महाराष्ट्र में एच1एन1 संक्रमण से सबसे ज्यादा लोग मारे गए हैं. यह संख्या 437 है. इसके बाद गुजरात में सर्वाधिक 269, केरल में 73 और राजस्थान में 69 लोगों ने बीमारी के कारण दम तोड़ा है.आंकड़े के अनुसार भारत में  बीमारी से कुल 1,094 मौतें हुई हैं और 22,186 मामले सामने आए हैं. यह  सरकारी आंकडे है लेकिन सत्यता यह है कि मरने वालों की संख्या कई गुना ज्यादा हो सकता है। जबकि 2016 में यह संख्या क्रमश: 265 और 1,786 थी। महाराष्ट्र में  एच1एन1 संक्रमण के सबसे ज्यादा 4,245 मामले सामने आए और इसके बाद गुजरात में 3,029, तमिलनाडु में 2,994 और कर्नाटक में 2,956 मामले सामने आए.आंकड़े के अनुसार केवल अगस्त महीने में देश भर में 342 लोग मारे गए, जबकि पिछले साल इसी अवधि में छह लोग मारे गए थे.देश में 2009-10 में एच1एन1 इंफ्लूएंजा का सबसे बुरा प्रकोप आया था जब बीमारी से 2,700 से ज्यादा लोग मारे गए थे और करीब 50,000 अन्य प्रभावित हुए थे. फरवरी तक के आंकडे बता रहे है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने भी स्वाइन फ्लू के मद्देनजर लोगों के लिए परामर्श जारी किया है. कई राज्यों में स्कूलों और कॉलेजों में छात्र-छात्राओं और स्टाफ को स्वाइन फ्लू से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं. इसके लिए बाकायदा गाइड लाइन जारी की गई हैं. उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के चीफ मेडिकल आॅफिसर (सीएमओ) ने भी स्वाइन फ्लू को लेकर स्कूलों और कॉलेजों को एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उन्होंने कहा कि सभी स्कूल और कॉलेज विद्यार्थियों को स्वाइन फ्लू से अलर्ट करें और उनको इस बचने के तरीके बताएं. अभी हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह भी स्वाइन फ्लू की चपेट में आ गए थे. इसके बाद उनको दिल्ली के आॅल इंडिया इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती कराया गया था. बीजेपी अध्यक्ष ने खुद ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा था, मुझे स्वाइन फ्लू हुआ है, जिसका उपचार चल रहा है. ईश्वर की कृपा, आप सभी के प्रेम और शुभकामनाओं से शीघ्र ही स्वस्थ हो जाऊंगा. देश में स्वाइन फ़्लू के कारण मरने वालों की संख्या इस साल 169 हो गई है, जबकि 4,571 लोगों में स्‍वाइन फ्लू वायरस होने के संकेत मिले हैं, जिसमें राजस्थान में 40 प्रतिशत मामले हैं। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, राजस्थान में  1,911 मामले और 75 मौतें दर्ज की गईं, इसके बाद गुजरात में 600 मामले और 24 मौतें हुईं। स्‍वाइन फ्लू के मामलों में दिल्‍ली तीसरे स्‍थान पर हैं, यहां 532 लोगों के एच1 एन1 वायरस से संक्रमित होने की सूचना दी है। पंजाब में 27 मौतें और 174 मामले दर्ज किए गए, उसके बाद हरियाणा में आठ मौतें और 372 मामले दर्ज किए गए। महाराष्ट्र में 82 मामले और 12 मौतें दर्ज की गई हैं। संख्या बढ़ने के साथ, स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में राज्यों के साथ एक बैठक की और उन्हें बीमारी से निपटने के लिए गाइडलाइन जारी की है। बीमारी पर काबू पाने के लिए अस्‍पताल में बेड की संख्‍या और सुविधाएं बढ़ाने के लिए भी कहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि, स्वाइन फ्लू की दवा ओसेल्टामिविर का पर्याप्त स्टॉक है और साथ ही एन 95 मास्क और डायग्नोस्टिक किट की भी कोई कमी नहीं है। राज्यों से कहा गया है कि बीमारी में क्‍या करना चाहिए और क्‍या नहीं करना चाहिए इसके बारे में विस्‍तार से बताया जाए। वहीं दिल्‍ली सरकार ने भी इस संबंध में एडवाइजरी जारी की है।
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